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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2646
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास

अध्याय - 8

ईस्ट इंडिया कम्पनी का क्षेत्रीय विस्तार - V
(1848-1856 लॉर्ड डलहौजी)

[(Territorial Expansion of the East India Company - V
(1848-1856 Lord Dalhousie]

 

 

प्रश्न- लार्ड डलहौजी की 'हड़पनीति से आप क्या समझते हैं? इस नीति से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को कैसे प्रोत्साहन मिला?

अथवा
लार्ड डलहौजी की गोद निषेध नीति का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
अथवा
लार्ड डलहौजी की गोद निषेध नीति की समीक्षा कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. डलहौजी की हड़पनीति क्या थी?
2. डलहौजी से व्यपगत के सिद्धान्त के द्वारा किस प्रकार साम्राज्य विस्तार किया?
3. डलहौजी की हड़पनीति का आलोचनात्मक मूल्याँकन कीजिए।
4. लॉर्ड डलहौजी की गोद निषेध नीति क्या थी?
5. लार्ड डलहौजी की गोद निषेध नीति का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।

उत्तर -

डलहौजी की हड़पनीति या व्यपगत का सिद्धान्त

भारतीय राज्यों के प्रति अंग्रेज नीति के विकास में लार्ड डलहौजी का विशेष स्थान है। युद्ध के आधार पर अंग्रेजी राज्य का विकास तो आरम्भ से हो रहा था किन्तु डलहौजी की विशेषता इस बात में थी कि उसने सार्वभौमिकता के ऐसे आधारों का समर्थन किया जिनसे कुछ राज्यों को साम्राज्य में मिला लिया गया। उसके आधारों को व्यपगत का सिद्धान्त या हड़पनीति के नाम से पुकारते हैं।

हिन्दू धर्म व परम्परा के अनुसार किसी व्यक्ति के अपनी पत्नी से सन्तान न होने की दशा मे वह किसी भी बच्चे को गोद लेकर उसका उत्तराधिकारी घोषित कर सकता है। उसे प्रत्येक प्रकार से अपने पिता की सन्तान माना जाता है और उसे अपने पिता की ही भाँति सामाजिक, धार्मिक एवं राजनीतिक उत्तरदायित्व, प्रतिष्ठा व अधिकार भी मिल जाते हैं। 1825 ई० तक अंग्रेजों ने ऐसा करने की मान्यता दी किन्तु 1831 में उन्होंने इस नीति में परिवर्तन करते हुए घोषणा की कि सभी अधीनस्थ राज्यों के नरेशों को गोद लेने से पूर्व कम्पनी से अनुमति लेनी चाहिए और कम्पनी को गोद लेने या न लेने देने का अधिकार है। कम्पनी इस अधिकार की व्याख्या समय-समय पर अपनी सुविधा के अनुसार किया। स्थिति तो तब बदली जब लार्ड डलहौजी गवर्नर जनरल बना। डलहौजी के अनुसार सार्वभौम सत्ता वारिस न होने की स्थिति में अधीन व परतन्त्र क्षेत्रों को अपने साम्राज्य में मिला सकती है।

डलहौजी ने अपने इस सिद्धान्त की व्याख्या भिन्न-भिन्न अवसरों पर की। अगस्त 1848 में उसका विचार था कि सामान्यतः उन सब राज्यों को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया जाना चाहिए जहाँ कुछ राजनीतिक हित पूरे होते हों। इंग्लैण्ड के इस पर आपत्ति जताने पर उसने कहा कि उसका विचार सभी राज्यों पर यह सिद्धान्त लागू करने का नहीं था वह इसको केवल अधीन राज्यों पर ही लागू करना चाहता था। इस व्याख्या से भी स्थिति स्पष्ट नहीं हुई। जून, 1854 में अपनी बात को तर्कसंगत बनाने के लिए डलहौजी ने भारतीय हिन्दू राज्यों को तीन श्रेणियों में बाँटा -

1. पहली श्रेणी में वे स्वतन्त्र राज्य आते थे जो कभी किसी अन्य शक्ति के अधीन रहे थे। उन्हें आन्तरिक संप्रभुता के तौर पर उत्तराधिकारी गोद लेने का अधिकार था।

2. दूसरी श्रेणी में वे अधीनस्थ राज्य आते थे जो अंग्रेजों को खिराज देते थे और जो पहले मुगल सम्राट या मराठा पेशवा को सार्वभौम सत्ता मानते थे। उन्हें अंग्रेज गोद लेने के अधिकार से वंचित करने का अधिकार रखते थे किन्तु राजनीतिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए वे ऐसा अपनी सुविधा के अनुसार करते थे।

3. तीसरी श्रेणी में वे आश्रित राज्य थे जिन्हें अंग्रेजों ने सनद द्वारा बनाया था, इस श्रेणी के राज्यों में गोद लेने की अनुमति नहीं थी।

डलहौजी द्वारा यह वर्गीकरण अनुचित और अस्पष्ट था। किसी भी राज्य को किसी भी श्रेणी में रखा जा सकता था। सैद्धान्तिक अथवा व्यावहारिक रूप से इस सिद्धान्त को तोड़ा मरोड़ा जा सकता था जैसे करौली को डलहौजी ने आश्रित कहा जबकि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने उसे एक मित्र राज्य बताया था। इस सबकी वास्तविकता यह थी कि राजनीतिक अवसरवादिता ही एकमात्र आधार था जिस पर किसी राज्य को अंग्रेजी साम्राज्य में मिलाए जाने का निर्णय लिया जाता था। डलहौजी द्वारा इस सिद्धान्त का प्रतिपादन पूर्णतया मनमाना था। उसके द्वारा दिए गए अधिकार व लगाए गए प्रतिबन्ध पूर्णतया अंग्रेजों की इच्छाधीन थे।

इस सिद्धान्त के द्वारा डलहौजी ने सतारा (1849), नागपुर ( 1849), जैतपुर, सम्भल व बघाट (1850), उदयपुर, 1852, भाँसी (1854), पन्ना व झालावाड़ को ब्रिटिश साम्राज्य का अंग बना दिया। सतारा के राजा ने बिना अंग्रेजों की अनुमति के एक बच्चा गोद लिया परन्तु राजा की मृत्यु (1848) के बाद अंग्रेजों ने उस बच्चे को राज्य का उत्तराधिकारी स्वीकार नहीं किया और सतारा को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया। झाँसी के राजा गंगाधर राव ने अपनी मृत्यु के पूर्व गोद लेने की अनुमति माँगी थी जो नहीं मिली इधर राजा ने बच्चा गोद ले लिया और उसकी मृत्यु भी हो गई। डलहौजी ने 1854 में झाँसी का भी विलय कर लिया। सम्भल में 1849 में राजा की मृत्यु के बाद डलहौजी ने रानी की संप्रभुता को अस्वीकार कर इसे भी मिला लिया। 1849 में नागपुर के राजा की मृत्यु बच्चा गोद लेने से पूर्व ही हो गई अतः इसे भी मिला लिया गया। अवध को इस आधार पर तो नहीं मिलाया था किन्तु कुशासन का आरोप लगाकर उसे भी ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा बना लिया गया।

मूल्याँकन - अंग्रेज भारतीय राज्यों की संप्रभुता को ढोंग करते हुए परोक्ष रूप से हस्तक्षेप शुरू करते थे। अपने समर्थक मन्त्रियों के हट जाने पर विभिन्न प्रकार से दबाव बनाकर हस्तक्षेप करते थे और सैनिक सुविधाएँ व सहायक सन्धि लाद देते थे। अहस्तक्षेप की नीति का वास्ता देकर प्रशासनिक उत्तरदायित्व से मुँह मोड़ लेते थे। राज्यों में फैलते कुशासन को वे अंग्रेजी विधि प्रणाली, शिक्षा व अन्य "संस्थाओं के अभाव की देन कहकर अपने हस्तक्षेप के लिए नौतिक औचित्य तैयार करते थे। डलहौजी ने तो हस्तक्षेप के द्वारा राज्यों की दशा सुधारने का तर्क दिया था जिसका उसे न तो नैतिक अधिकार था और न ही राजनीतिक अधिकार था।

इस नीति के तहत डलहौजी ने राज्य विस्तार तो अवश्य किया किन्तु वह अधिकृत क्षेत्र में अच्छा प्रशासन स्थापित करने में पूर्णतया असमर्थ रहा। इन राज्यों में भारतीय नरेशों की तुलना में कहीं अधिक खराब प्रशासन चलता रहा। भू-राजस्व की मात्रा भी निरन्तर बढ़ती रही और अंग्रेजी न्यायालय में वर्षों तक मुकदमों का फैसला नहीं होता था। सार्वजनिक निर्माण विभाग केवल सैनिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए काम करता था।

डलहौजी की अत्यधिक विलय की नीति से राज्यों के सभी वर्गों में तीव्र असन्तोष पैदा हो गया। राजघराने की सम्पत्ति को नीलाम करवाकर पेंशन व जागीर की अन्धाधुन्ध समाप्ति से, दरबारियों और सैनिकों को पदच्युत करके उसने अपनी नीति से उत्पन्न असंतोष को केवल राजघरानों तक ही सीमित नहीं रखा बल्कि सामान्य जनता तक फैलाया। संयोगवश डलहौजी के जाने के पश्चात् 1857 का विद्रोह शुरू हो गया और प्रेक्षकों को दोनों घटनाओं का निकट सम्बन्ध ढूँढ़ने मे देर न लगी। यद्यपि डलहौजी ने माना कि इस विलय नीति से जनता को अपने कुशासकों से मुक्ति मिल गई और वे अंग्रेजी राज्य के पक्ष में शान्त बने रहे, परन्तु नागपुर व झाँसी के नागरिकों का असन्तोष व 1857 में अवध की जनता का विद्रोह में हिस्सा लेना इस बात का प्रमाण है कि भारतीय इन राज्यों को अंग्रेजी राज्य में मिलाए जाने से कितना नाराज थे। यहाँ तक कि ब्रिटिश सरकार ने भी विद्रोह के बाद गोद लेने के अधिकार को मान्यता दे दी। इस प्रकार यह स्पष्ट हो गया कि डलहौजी का 'गोद की प्रथा के आधार पर भारतीय राज्यों को अंग्रेजी राज्य में सम्मिलित करना न तो कानूनी था, न न्यायपूर्ण, न व्यावहारिक और न उपयोगी चार्ल्स ने 1860 को भारत सरकार को लिखा है कि हमें यह सिद्ध करना है कि, "जिस प्रकार हम अपने अधिकार की रक्षा करने में समर्थ हैं उसी प्रकार हम दूसरों के अधिकारों का सम्मान करने के भी इच्छुक हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारत में सर्वप्रथम प्रवेश करने वाले विदेशी व्यापारी कौन थे? विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- भारत में डच शक्ति के आगमन को समझाते हुए डचों के पुर्तगालियों व अंग्रेजों से हुए संघर्षो पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- भारत में पुर्तगालियों के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  4. प्रश्न- फ्रांसीसियों के भारत आगमन एवं भारत में फ्रांसीसी शक्ति के विस्तार को समझाइए।
  5. प्रश्न- यूरोपीय डच कम्पनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  6. प्रश्न- अंग्रेजों का भारत में किस प्रकार प्रवेश हुआ संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  7. प्रश्न- यूरोपीय फ्रांसीसी कंपनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  8. प्रश्न- पुर्तगालियों की सफलता के कारण बताइये।
  9. प्रश्न- पुर्तगालियों के असफलता के कारण बताइये।
  10. प्रश्न- आंग्ल-फ्रेंच संघर्ष के विषय में बताते हुए इसके मुख्य कारणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- "अपनी अन्तिम असफलता के बावजूद भी डूप्ले भारतीय इतिहास का एक प्रतिभावान एवं तेजस्वी व्यक्तित्व है।" क्या आप प्रो. पी. ई. राबर्ट्स के डूप्ले की उपलब्धियों के सम्बन्ध में इस कथन से सहमत हैं?
  12. प्रश्न- भारत में अंग्रेजों की सफलता के क्या कारण थे?.
  13. प्रश्न- ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधीन भारत में हुए सामाजिक और आर्थिक अभावों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- अंग्रेजी कम्पनी के अधीन भारत में सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- "भारत में फ्राँसीसियों की असफलता का कारण डूप्ले था।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- भारत में साम्राज्य स्थापित करने में अंग्रेजों की सफलता के कारण बताइये।
  17. प्रश्न- प्लासी के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- बक्सर के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  19. प्रश्न- कर्नाटक के युद्ध अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की सदियों से परम्परागत शत्रुता का परिणाम थे, विवेचन कीजिये।
  20. प्रश्न- द्वितीय कर्नाटक युद्ध के कारणों और परिणामों की व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- उन महत्त्वपूर्ण कारणों का उल्लेख कीजिए जिनसे भारत में प्रभुत्व स्थापना के संघर्ष में फ्रांसीसियों को पराजय और अंग्रेजों को सफलता मिली।
  22. प्रश्न- क्लाइव की द्वितीय गवर्नरी में उसके कार्यों की समीक्षा कीजिये।
  23. प्रश्न- क्लाइव द्वारा बंगाल में द्वैध शासन की विवेचना कीजिये।
  24. प्रश्न- भारत में लार्ड क्लाइव के कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  25. प्रश्न- "प्रथम अफगान युद्ध भारत के इतिहास में अंग्रेजों की सबसे गम्भीर भूल थी।' समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष क्या था? इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- द्वैध शासन व्यवस्था के गुण एवं दोषों की विवेचना कीजिए।
  28. प्रश्न- प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
  29. प्रश्न- बंगाल के कठपुतली नवाबों के कार्यकाल पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- बंगाल के द्वैध शासन से आप क्या समझते हैं?
  31. प्रश्न- द्वैध शासन की असफलता के क्या कारण थे?
  32. प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
  33. प्रश्न- नवाब सिराजुद्दौला के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- भारत में डच शक्ति के उत्थान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  35. प्रश्न- बक्सर का युद्ध (1764) तथा उसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  36. प्रश्न- लॉर्ड क्लाइव द्वारा किये गये सुधारों का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- 'क्लाइव भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था। स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- इलाहाबाद की सन्धि की प्रमुख शर्तें क्या थीं?
  39. प्रश्न- प्लासी युद्ध के महत्व की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- अलीनगर की सन्धि (सन् 1757 ई.) बताइये।
  41. प्रश्न- सिराजुद्दौला के विरुद्ध अंग्रेजों के मीर जाफर के साथ षड्यंत्र को स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- प्लासी के युद्ध (सन् 1757 ई.) के परिणाम बताइये।
  43. प्रश्न- राबर्ट क्लाइव के विषय में आप क्या जानते हैं?
  44. प्रश्न- बक्सर के युद्ध का महत्त्व बताइये।
  45. प्रश्न- बंगाल में द्वैध शासन का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  46. प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
  47. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के सुधारों की विवेचना कीजिए।
  48. प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के अधीन विदेशी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- 1773 के रेग्युलेटिंग ऐक्ट के गुण-दोष क्या थे?
  50. प्रश्न- हैदर अली के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  51. प्रश्न- प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
  52. प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक एवं राजस्व सुधारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  53. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय नन्दकुमार का क्या मामला था?
  54. प्रश्न- मराठों के पतन के क्या कारण थे?
  55. प्रश्न- पानीपत के युद्ध की प्रमुख घटनाएँ क्या थीं?
  56. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय अवध की बेगमों का क्या मामला था?
  57. प्रश्न- लार्ड कॉर्नवालिस के सुधारों की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- बंगाल की स्थायी भूमि कर व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- कार्नवालिस ने वॉरेन हेस्टिंग्ज का कार्य पूर्ण किया। विवेचना कीजिए।
  60. प्रश्न- तृतीय मैसूर युद्ध के क्या कारण थे?
  61. प्रश्न- भूमि कर नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  62. प्रश्न- एक साम्राज्य निर्माता के रूप में वेलेजली की भूमिका का मूल्याँकन कीजिए।
  63. प्रश्न- टीपू और वेलेजली के मध्य चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध की कारणों सहित व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- लार्ड वेलेजली की सहायक सन्धि प्रणाली को समझाते हुए उसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- वेलेजली तथा फ्रांसीसियों के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  66. प्रश्न- टीपू सुल्तान की पराजय के कारण बताइए।
  67. प्रश्न- वेलेजली के अधीन अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार एवं कंपनी के प्रदेश की सीमाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  68. प्रश्न- लार्ड वेलेजली के आगमन के समय भारत की राजनीतिक स्थितियाँ क्या थीं?
  69. प्रश्न- वेलेजली की सहायक सन्धि की शर्तें क्या थीं?
  70. प्रश्न- वेलेजली के अवध के साथ सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
  71. प्रश्न- वेलेजली की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  72. प्रश्न- ठगी को समाप्त करने के लिए लार्ड विलियम बैंटिक ने कहां तक सफलता प्राप्त की?
  73. प्रश्न- ब्रिटिश कम्पनी की भारत में आर्थिक एवं शैक्षिक नीति की विवेचना कीजिए।
  74. प्रश्न- लॉर्ड विलियम बेंटिक के प्रशासनिक एवं सामाजिक सुधारों का मूल्यांकन कीजिए।
  75. प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा तथा अन्य क्रूर प्रथाओं को बन्द करने की क्या नीति अपनाई? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  76. प्रश्न- विलियम बैंटिक के समाचार पत्रों के प्रति उदार नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  77. प्रश्न- विलियम बैंटिक के द्वारा नैतिक तथा बौद्धिक विकास के लिए किये गये शैक्षणिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- बैंटिक के वित्तीय तथा न्यायिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  79. प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- ब्रिटिश भारत में स्त्रियों की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- भारत पर ब्रिटिश शासन के सामाजिक प्रभाव का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
  82. प्रश्न- अंग्रेजों द्वारा पारित सामाजिक कानून पर निबन्ध लिखिए।
  83. प्रश्न- 1833 के चार्टर एक्ट पर एक टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- लार्ड डलहौजी की 'हड़पनीति से आप क्या समझते हैं? इस नीति से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को कैसे प्रोत्साहन मिला?
  85. प्रश्न- - डलहौजी के द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा विद्युत तार एवं डाक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  87. प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा रेलवे विभाग में क्या सुधार किये गये?
  88. प्रश्न- लार्ड डलहौजी के प्रशासनिक एवं सैनिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  89. प्रश्न- भारत के आधुनिकीकरण में लार्ड डलहौजी का योगदान क्या था?
  90. प्रश्न- लार्ड डलहौजी को शिक्षा सम्बन्धी सुधारों में कहां तक सफलता प्राप्त हुई? स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- 1853 के चार्टर एक्ट पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- रणजीत सिंह का परिचय देते हुए अफगानों एवं अंग्रेजों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  93. प्रश्न- अंग्रेजों और सिक्खों के प्रथम युद्ध के कारण व प्रसिद्ध घटनाओं और परिणामों का वर्णन कीजिये।
  94. प्रश्न- रणजीत सिंह का डोंगरों और नेपालियों से सम्बन्ध को संक्षिप्त में समझाइये |
  95. प्रश्न- रणजीत सिंह के प्रशासन के अंतर्गत भूमिकर एवं न्याय प्रशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- रणजीत सिंह ने सैनिक प्रशासन में कहाँ तक सफलता प्राप्त की? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  97. प्रश्न- प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- सिक्खों और अंग्रेजों के सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  99. प्रश्न- हैदराबाद के एक राज्य के रूप में उदय की परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
  100. प्रश्न- हैदराबाद अकस्मात ही विघटनकारी शक्तियों का शिकार हो गया था, विवेचनात्मक उत्तर दीजिये।
  101. प्रश्न- 1724-1802 तक की हैदराबाद की राजनीतिक गतिविधियों का अवलोकन कीजिये।
  102. प्रश्न- टीपू की शासन प्रणाली का सविस्तार से वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- मैसूर राज्य का विस्तृत अध्ययन कीजिए।
  104. प्रश्न- एंग्लो-मैसूर युद्धों का समीक्षात्मक अध्ययन कीजिये।
  105. प्रश्न- टीपू सुल्तान और मैसूर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  106. प्रश्न- मैसूर व इतिहास लेखन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  107. प्रश्न- 18वीं सदी में, मैसूर की स्थिति से संक्षिप्त रूप से परिचित कराइये।
  108. प्रश्न- 1399 ईस्वी से अठारहवीं सदी के मध्य मैसूर राज्य की स्थिति से अवगत कराइये।
  109. प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त से क्या आशय है? लार्ड कार्नवालिस द्वारा स्थायी बंदोबस्त लागू करने के क्या कारण थे?
  110. प्रश्न- ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर भिन्न-भिन्न कर प्रणाली लगाने का क्या उद्देश्य रहा?
  111. प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त ने किस प्रकार जमींदारी व्यवस्था को जन्म दिया?
  112. प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण के कारणों, परिणामों एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
  113. प्रश्न- 19वीं शताब्दी के प्रमुख सामाजिक-धार्मिक आन्दोलनों को बताइये।
  114. प्रश्न- क्या राजा राममोहन राय को 'आधुनिक भारत का पिता' कहना उचित है?
  115. प्रश्न- भारतीय सामाजिक तथा धार्मिक पुनर्जागरण में आर्य समाज की देनों का उल्लेख कीजिए।
  116. प्रश्न- ब्रह्म समाज के प्रमुख सिद्धान्तों व कार्यों का वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- भारत के सामाजिक-धार्मिक पुनरुत्थान में स्वामी विवेकानन्द के योगदान का विवरण दीजिए।
  118. प्रश्न- 19-20वीं सदी के जातिवाद विरोधी आंदोलनों का वर्णन कीजिए।
  119. प्रश्न- अहिंसा और सत्याग्रह पर गाँधी जी के विचारों का मूल्याँकन कीजिए।
  120. प्रश्न- रामकृष्ण परमहंस पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  121. प्रश्न- अछूतोद्धार हेतु भीमराव अम्बेडकर के किए गये कार्यों का वर्णन कीजिए।
  122. प्रश्न- आधुनिक भारत में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  123. प्रश्न- एक शासक के रूप में अशोक के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  124. प्रश्न- अस्पृश्यता से आप क्या समझते हैं? इसकी समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  125. प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण का क्या अर्थ है?
  126. प्रश्न- ब्रह्म समाज से आप क्या समझते हैं?
  127. प्रश्न- प्रार्थना समाज ने समाज सुधार की दिशा में क्या कार्य किए?
  128. प्रश्न- ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के समाज सुधार में किए गए कार्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  129. प्रश्न- आर्य समाज की मुख्य शिक्षाएँ व समाज सुधार में किए गए योगदान का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- थियोसोफिकल सोसाइटी पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  131. प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  132. प्रश्न- भारत में 19वीं सदी में हुए विभिन्न सुधारवादी आन्दोलनों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  133. प्रश्न- अश्पृश्यता निवारण के लिए महात्मा गाँधी की सेवाओं का मूल्याँकन कीजिए।
  134. प्रश्न- 20वीं सदी में हुए प्रमुख सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  135. प्रश्न- समाजवाद पर नेहरू के विचारों का उल्लेख कीजिए।
  136. प्रश्न- आधुनिक काल में जाति प्रथा पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  137. प्रश्न- भारतीय समाज पर पड़े दो पाश्चात्य प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
  138. प्रश्न- नाविक विद्रोह 1946 का महत्व स्पष्ट कीजिए।
  139. प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
  140. प्रश्न- होमरूल से आप क्या समझते हैं?
  141. प्रश्न- साम्प्रदायिक निर्णय 1932 ई. की समीक्षा कीजिए।
  142. प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  143. प्रश्न- श्री अरविन्द घोष के जीवन पर प्रकाश डालिए।
  144. प्रश्न- रामकृष्ण मिशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  145. प्रश्न- चैतन्य महाप्रभु पर एक टिप्पणी लिखिए।
  146. प्रश्न- 'पुरुषार्थ आश्रमों के मनोनैतिक आधार हैं। टिप्पणी कीजिए।
  147. प्रश्न- उन्नीसवीं सदीं में सामाजिक जागरण के क्या कारण थे?

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